आज समाज में तीन तरह के गाँधी हैं. एक हैं- सरकारी गाँधी. जवाहर लाल नेहरु इसके बेहतर उदहारण हैं. दूसरा प्रकार है- मठाधीश गाँधी. बिनोवा जी को इसी श्रेणी का कहा गया है. तीसरा प्रकार है- कुजात गाँधी. लोहिया कुजात गाँधी के प्रवर्तक रहे हैं. अब आप तय करें कि आज गांधियन विचार के किस श्रेणी में आते हैं. ऐसे यह विकल्प आपके सामने तभी है, जब आप किसी ना किसी रूप में गाँधी जी विचारों को लेकर तरफदारी करते हैं. मैं भी अपने को टटोलने की कोशिश कर रहा हूं. जब से मेरे गुरु जी ने आज की कक्षा में इसकी चर्चा की है- मैं द्वंद्व में हूं. कॉलेज में पढ़ नहीं रहा होता तो अपने को सरकारी गाँधी की श्रेणी में ही रखता. यदि इस श्रेणी में फिट नहीं भी बैठता तो कोशिश करने में क्या बुरा है. आखिर असली मज़ा तो सरकारी गाँधी वालों को ही है. कॉलेज से निकलने के बाद भी अपने को गांधियन विचार की किसी-ना-किसी श्रेणी के लायक जरूर तैयार कर लूँगा. ऐसे मठाधीश गाँधी में भी फायदा-ही-फायदा है. अब आप बताइये कि आप किस श्रेणी में हैं.
Tuesday, September 4, 2012
समाज में तीन तरह के गाँधी
आज समाज में तीन तरह के गाँधी हैं. एक हैं- सरकारी गाँधी. जवाहर लाल नेहरु इसके बेहतर उदहारण हैं. दूसरा प्रकार है- मठाधीश गाँधी. बिनोवा जी को इसी श्रेणी का कहा गया है. तीसरा प्रकार है- कुजात गाँधी. लोहिया कुजात गाँधी के प्रवर्तक रहे हैं. अब आप तय करें कि आज गांधियन विचार के किस श्रेणी में आते हैं. ऐसे यह विकल्प आपके सामने तभी है, जब आप किसी ना किसी रूप में गाँधी जी विचारों को लेकर तरफदारी करते हैं. मैं भी अपने को टटोलने की कोशिश कर रहा हूं. जब से मेरे गुरु जी ने आज की कक्षा में इसकी चर्चा की है- मैं द्वंद्व में हूं. कॉलेज में पढ़ नहीं रहा होता तो अपने को सरकारी गाँधी की श्रेणी में ही रखता. यदि इस श्रेणी में फिट नहीं भी बैठता तो कोशिश करने में क्या बुरा है. आखिर असली मज़ा तो सरकारी गाँधी वालों को ही है. कॉलेज से निकलने के बाद भी अपने को गांधियन विचार की किसी-ना-किसी श्रेणी के लायक जरूर तैयार कर लूँगा. ऐसे मठाधीश गाँधी में भी फायदा-ही-फायदा है. अब आप बताइये कि आप किस श्रेणी में हैं.
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