Thursday, June 16, 2011

नैकी मामा

आज हमनी अपन टोला टाटी पर कुछ बात करे ला सोचली हे। मगही बोले वाला कोई भाई, बहिन और दोस्त एकरा पर अपन अपन टोला टाटी के बात बाँट सकह्थी।
नई कि मामा हम्मर पडोसी हई। हम जौन दिन से ओकरा देखित हिअई ऊ दिन से वोइशी हई। हमनी ओकरा ही जाय के पहिले कई तरह के बात मन में सोच हलि। भूत झाड हई नैकी मामा। कहीं गेला पर भूत ना धर ले। सुन हलि कि ऊ देवता के अपन वश में कैले हई। ब्रह्म बाबा से ऊ जे मांग हई वोकर मिल जा हई। नैकी मामा हर साल नवमी पूजा के मौका पर एक जोड़ा कबूत्तर के बलि चढ़ा व हई। कह हल अई कि इ ब्रह्म बाबा के मनीता मानल हई। जब हमनी छठा सातवां में पढ़ हल अई तब तो इ जाने ला बड़ी मन में बेचैनी रह हल अई कि ऊ काहे ला आइसे कर हई। जैसे जैसे हमनी बढ़ते गेलिआइ धीरे धीरे लगे लगलाई कि इ सब अंध विश्वास हई। लेकिन हम्मर नैकी मामा आज भी अपन वोही दर्रा पर हई। उ समय हमरा अचरज लग हई कि नैकी मामा के पास पढ़ल लिखल लोग के भी भीड़ लागल रह हलई। आज नैकी मामा के खपड़ा वाला घर आधा गिर गेलै हे। ओकर घर के चारो ओर पक्का के दो महला तीन महला घर बन गेलै हे। नैकी मामा के एक गो बेटा बाहरे रह हई। सुना ही कि ऊ अच्छा पैसा कमा हई। ओकरा बेटा ना होवित हलई। नैकी मामा के पूजा पाठ से ही ओकरा बेटा होलई हे। भगवन जाने काम सच हई। लेकिन नैकी मामा आज भी अपन वोही ढर्रा पर हई। अब अगनू बाबा भी बुध हो गेलथि हे। सब दिन हमनी के लग लई कि ऊ हम्मर अपन मामा हई। कभी न लगल अई कि ऊ कोई पिछड़ा या दोसर जात के हई। पिछला दस साल से तो पटना में रहित ही अई। अभियो जा ही अई तब नई कि मामा दालान पर बैठल रह हई।